‘‘और अल्लाह की इबादत करो और किसी चीज़ को उसका साझीदार न बनाओ। और अच्छा व्यवहार करो माता-पिता के साथ और सम्बन्धियों के साथ और अनाथों और निर्धनों और सम्बन्धी पड़ोसी और वह पड़ोसी जो संबंधी नहीं हैं और पास बैठने वाले और यात्री के साथ और दासों के साथ। निस्सन्देह, अल्लाह पसन्द नहीं करता डींगें मारने वाले को और घमंड करने वाले को।’’ (कुरआन, 4 : 36)
•मुसलमानों की खूबियां (विशेषताएं):-
कुरआन मजीद मे बहुत जगह पर ऐसी खूबियों का जिक्र किया गया हैं जिनका मुसलमानों में होना जरूरी है। देखिए:-
"निश्चित रूप से सफलता पायी ईमान वालों (आस्थावान लोगों) ने। जो अपनी नमाज़ में झुकने वाले हैं। और जो व्यर्थ बातों से बचते हैं। और जो ज़कात (अनिवार्य कर) अदा करने वाले हैं। और जो अपने गुप्तांगों की रक्षा करने वाले हैं! ( 25:1-5)
•"और जो अपनी अमानतों और अपने वादों का ध्यान रखने वाले हैं। (25:8)
•"और जिनकी पूँजी में निश्चित अधिकार है। माँगने वाले और वंचित का। (अत: वह अपनी कमार्इ का एक अंश निर्धन मांगनेवालों को भी देते हैं और उनको भी जो शर्म और झिझक से अपना मुंह नही खोलते)।’’ (70:24-25)
•"और रहमान के बन्दे वह हैं जो धरती में नम्रतापूर्वक चलते हैं। और जब अज्ञानी लोग उनसे (अशिष्टतापूर्ण) बात करते हैं तो वह कह देते हैं कि तुमको सलाम। (और आगे बढ जाते हैं)! (25:63)
•"और वह लोग कि जब वह खर्च करते हैं तो न अपव्यय करते हैं और न कृपणता करते हैं। और उनका व्यय इसके बीच सन्तुलन पर होता है। और जो लोग अल्लाह के अतिरिक्त किसी अन्य उपास्य को नहीं पुकारते हैं। और वह अल्लाह की अवैध की हुई किसी जान की हत्या नहीं करते परन्तु विधि सम्मत होने पर। और वह व्यभिचार नहीं करते। और जो व्यक्ति ऐसे कृत्य करेगा तो वह दण्ड का भागीदार होगा। (25:67-68)
•"और जो लोग झूठ कर्मों में सम्मिलित नहीं होते। और जब किसी अश्लील चीज़ से उनका गुज़र होता है तो वह गम्भीरतापूर्वक गुज़र जाते हैं। और वह ऐसे हैं कि जब उनको उनके पालनहार की आयतों के माध्यम से उपदेश दिया जाता है तो वह उन पर बहरे और अन्धे होकर नहीं गिरते। (25:72-73)
•विचार कीजिए! इन्सानियत के विषय मे कुरआन मजीद की शिक्षा कितने उंचे दर्जे की हैं जिसके अनुसार हर वर्ग और हैसियत का इन्सान सरलता पूर्वक व्यवहार कर सकता हैं। यदि कोर्इ देश इन सिद्धान्तों के अनुसार अपना आचरण बना ले तो कैसी उच्चकोटि की मानवता पैदा हो सकती हैं। काश! हम लोग इनके अनुसार व्यवहार करते!
•पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्ल0) की तालीम भी इन्सानियत के लिए मोतियों की माला है!
अल्लाह के पैगम्बर हजरत मुहम्मद (सल्ल0) ने फरमाया कि मेरे पालनहार ने मुझको नौं बातों का हुक्म दिया हैं:-
(1) प्रकट और अप्रकट (दोनो हालतों में) अल्लाह से डरते रहने का।
(2) गुस्से की हालत हो या खुशी की, (हमेशा) न्यायसंगत बात कहने का।
(3) गरीबी हो या अमीरी (हर हालत में) सबके साथ एक जैसा बरताव करने का।
(4) और यह कि जो इन्सान मुझसे नाता तोड़े मै उससे नाता जोड़ूं।
(5) और यह कि मैं उसे भी (जरूरत की चीज) दूं जो मुझसे अपना हाथ रोक ले।
(6) और यह कि जो इन्सान मुझपर जुल्म करे मैं उसे माफ कर दूं।
(7) और यह कि मेरा मेरी खामोशी फिक्र की खामोशी हो और मेरी बात अल्लाह की बात (जिक्र) हो।
(8) और यह कि मेरी निगाहें नसीहत अपनाने वाली निगाहें हो।
(9) और यह कि मैं भलार्इ का हुक्म दूं और बुरार्इ से रोकूं।
•यह कितनी ऊँचे दर्जे की तालीम हैं। पैगम्बर सभी इन्सानों के लिए नसीहत और नमूना होते हैं और पैगम्बर मुहम्मद (सल्ल0) कहते हैं कि यह तालीम उनको अल्लाह ने दी हैं!
लिहाजा अब हम अपने गिरेबान मे झाँक सकते हैं! हम किस रास्ते पर जा रहे हैं! हमे होना क्या चाहिए और हम हैं क्या?
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