Tuesday, 6 October 2015

सवाल:->इस्लाम औरतों को पर्दे में रखकर उनका अपमान क्यूं करता है?

जवाब:-
इस्लाम में औरतों की जो स्थिति हैं, उस पर सेक्यूलर मीडिया का ज़बरदस्त हमला होता हैं। वे पर्दे और इस्लामी लिबास को इस्लामी क़ानून में स्त्रियों की दास की मिसाल  के रूप मे पेश करते हैं। इससे पहले कि हम पर्दे के धार्मिक निर्देश के पीछे मौजूद कारणों पर विचार करें, इस्लाम से पूर्व समाज में स्त्रियों की स्थिति का अध्ययन करते हैं।

1- भूतकाल में स्त्रियों का अपमान किया जाता और उनका प्रयोग केवल काम-वासना के लिए किया जाता था
इतिहास से लिए निम्न उदाहरण इस तथ्य की पूर्ण रूप से व्याख्या करते हैं कि आदिकाल की सभ्यता में औरतों का स्थान इस सीमा तक गिरा हुआ था कि उनको प्राथमिक मानव सम्मान तक नही दिया जाता था।

(क) बेबिलोनिया सभ्यता:-
औरते अपनानित की जाती और बेबिलोनिया के का़नून में उनको हर ह़क और अधिकार से वंचित रखा जाता था। यदि एक व्यक्ति किसी औरत की हत्या कर देता तो उसको दण्ड देने के बजाए उसकी पत्नी को मौत के घाट उतार दिया जाता था।

(ख) यूनानी सभ्यता:-
इस सभ्यता को प्राचीन सभ्यताओं में अत्यन्त श्रेष्ठ माना जाता हैं। इस ‘अत्यंत श्रेष्ठ’ व्यवस्था के अनुसार औरतों को सभी अधिकारों से वंचित रखा जाता था और वे नीच वस्तु के रूप में देखी जाती थीं।यूनानी देवगाथा में’’पांडोरा’’ नाम की एक काल्पनिक स्त्री पूरी मानवजाति के दुखों की जड़ मानी जाती हैं। यूनानी लोग स्त्रियों को पुरूषों के मुका़बले में तुच्छ जाति मानते थे। यद्यपि उनकी पवित्रता अमूल्य थी और उनका सम्मान किया जाता था, परन्तु बाद में यूनानी लोग अहंकार और काम-वासना में लिप्त हो गए। वैश्यावृति यूनानी समाज के हर वर्ग में एक आम रिवाज बन गर्इ।

(ग) रोमन सभ्यता:-
जब रोमन सभ्यता अपने गौरव की चरमसीमा पर थी, उस समय एक पुरूष को अपनी पत्नी का जीवन छीनने का भी अधिकारी था। वैश्यावृति और नगन्ता रोमवासियों में आम थी।

(घ) मिस्री सभ्यता:-
मिस्री लोग स्त्रियों को शैतान का रूप मानते थे।

(ड) इस्लाम से पहले का अरब:-
इस्लाम से पहले अरब में औरतों को नीच माना जाता और जब कभी किसी लड़की का जन्म होता तो आमतौर से उसे जीवित दफ़न कर दिया जाता था।

2- इस्लाम ने औरतों को ऊपर उठाया और उनको बराबरी का दर्जा दिया और वह उनसे अपेक्षा करता हैं कि वे अपना स्तर बनाए रखें।
इस्लाम ने औरतों को ऊपर उठाया और लगभग 1400 साल पहले ही उनके अधिकार उनको दे दिए और वह उनसे अपेक्षा करता हैं कि वे अपने स्तर को बनाए रखेंगी।

पुरूषों के लिए पर्दा:-
आमतौर पर लोग यह समझते हैं कि पर्दे का संबंध केवल स्त्रियों से हैं। हालांकि पवित्र कु़रआन में अल्लाह ने औरतों से पहले मर्दो के पर्दे का वर्णन किया हैं-

    ‘‘र्इमानवालों से कह दो कि वे अपनी नज़रे नीची रखें और अपनी पाकदामिनी की सुरक्षा करें। यह उनको अधिक पवित्र बनाएगा और अल्लाह खू़ब परिचित है हर उस कार्य से जो वे करते हैं।’’        (क़ुरआन, 24:30)

उस क्षण जब एक व्यक्ति की नज़र किसी स्त्री पर पड़े तो उसे चाहिए कि वह अपनी नज़र नीची कर ले। ये भी पर्दे मे शामिल है!

स्त्रियों के लिए पर्दा:-
क़ुरआन की सूरा निसा में कहा गया हैं

‘‘और अल्लाह पर र्इमान रखने वाली औरतों से कह दो कि वे अपनी नज़रे नीची रखें और अपनी पाकदामिनी की सुरक्षा करें और वे अपने बनाव-श्रृंगार और आभूषणों को न दिखाएॅ, इसमें कोर्इ आपत्ति नहीं जो सामान्य रूप से नज़र आता हैं, और उन्हे चाहिए कि वे अपने सीनों पर ओढ़नियॉ ओढ़ ले और अपने पतियों, बापों, अपने बेटों के अतिरिक्त किसी के सामने अपने बनाव-श्रृंगार प्रकट न करें।’’
(क़ुरआन, 24:31)

3- पर्दे के लिए आवश्यक शर्ते:-
पवित्र क़ुरआन और हदीस (पैग़म्बर के कथन) के अनुसार पर्दे के लिए निम्नलिखित छह बातों का ध्यान देना आवश्यक हैं-

(1) पहला शरीर का पर्दा हैं जिसे ढका जाना चाहिए। यह पुरूष और स्त्री के लिए भिन्न हैं। पुरूष के लिए नाफ़ (नाभि) से लेकर घुटनों नीचे पिंडलियो तक ढकना आवश्यक हैं और स्त्री के लिए चेहरे और हाथों की कलार्इ को छोड़कर पूरे शरीर को ढकना आवश्यक हैं। यद्यपि वे चाहें तो खुले हिस्से को भी छिपा सकती हैं। इस्लाम के कुछ आलिम इस बात पर जोर देते हैं कि चेहरा और हाथ भी पर्दे का आवश्यक हिस्सा हैं।
अन्य बातें ऐसी हैं जो स्त्री एवं पुरूष के लिए समान हैं।

(2) धारण किया गया वस्त्र ढीला हो और यह शरीर के अंगों को प्रकट न करें।

(3) धारण किया गया वस्त्र पारदश्र् न हो कि कोर्इ शरीर के भीतर हिस्से को देख सकें।

(4) पहना हुअ वस्त्र भड़कीला न हो कि वितरीत लिंग (Gender) को आकर्षित करें।

(5) पहना हुआ वस्त्र विपरीत लिंग (Gender) से न मिलता हों।

(6) धारण किया गया वस्त्र ऐसा नहीं होना चाहिए जो किसी विशेष गै़र-मुस्लिम धर्म को चिंहित करता हो और उस धर्म का प्रतीक हों।

4- पर्दा दूसरी चीजों के साथ-साथ इन्सान के व्यवहार और आचरण का भी पता देता हैं।
पूर्ण पर्दा, वस्त्र (लिबास) की छह कसौटियों के अलावा नैतिक व्यवहार और आचरण को भी अपने भीतर समोए हुए हैं। कोर्इ व्यक्ति यदि केवल वस्त्र की कसौटियों को अपनाता हैं तो वह पर्दे के सीमित अर्थ का पालन कर रहा हैं। वस्त्र के द्वारा पर्दे के साथ-साथ ऑखों और विचारों का भी पर्दा करना चाहिए। किसी व्यक्ति के चाल-चलन, बातचीत एंव व्यवहार को भी पर्दे के दायरे मे लिया जाता हैं।

5- पर्दा दुव्र्यवहार से रोकता हैं:-
पर्दे का औरतों को क्यों उपदेश दिया जाता हैं इसके कारण का पवित्र कुरआन की सूरा अल अहज़ाब में उल्लेख किया गया हैं-

    ‘‘ ऐ नबी! अपनी पत्नियों, पुत्रियों और र्इमानवाली स्त्रियों से कह दो कि वे (जब बाहर जाएॅ) तो ऊपरी वस्त्र से स्वयं को ढॉक लें। यह अत्यन्त हैं  कि वे इसी प्रकार जानी जाएॅ और दुव्र्यवहार से सुरक्षित रहे और अल्लाह तो बड़ा क्षमाकारी और बड़ा ही दयालु हैं।’’(क़ुरआन, 33:59)

पवित्र क़ुरआन कहता हैं कि औरतों को पर्दे का इस लिए उपदेश दिया गया हैं कि वे पाकदामिनी के रूप में देखी जाए और पर्दा उनसे दुव्र्यवहार को भी रोकता हैं।

6- बलात्कारियों के लिए मौत की सज़ा:-
इस्लामी का़नून में बलात्कार की सज़ा मौत हैं। बहुत से लोग इसे निर्दयता कहकर इस दंड पर आश्चर्य प्रकट करते हैं। कुछ का तो कहना हैं इस्लाम एक जंगली धर्म हैं। मैने एक सरल-सा प्रश्न गै़र-मुस्लिमों से किया कि र्इश्वर न करें कि कोर्इ आपकी मॉ अथवा बहन के साथ बलात्कार करता हैं और आप को न्यायाधीश बना दिया जाए और बलात्कारी को आपके सामने लाया जाए तो उस दोषी को आप कौन-सी सजा़ सुनाएगे? मुझे प्रत्येक से एक ही उत्तर मिला कि मृत्यु-दंड दिया जाएगा। कुछ ने कहा कि वे उसे कष्ट दें-देकर मारने की सजा सुनाएगे। मेरा अगला प्रश्न था कि यदि कोर्इ आपकी मॉ, पत्नी अथवा बहन के साथ बलात्कार करता है तो आप उसे मृत्यु-दंड देना चाहते हैं परंतु यही घटना किसी दूसरे की मॉ, पत्नी अथवा बहन के साथ होती हैं तो आप कहते हैं कि मृत्यु-दंड देना जंगलीपन हैं। इस स्थिति में यह दोहरा मापदंड क्यों हैं?

7- पश्चिमी समाज औरतों को ऊपर उठाने का झूठा दावा करता हैं:-
औरतों की आजादी का पश्चिमी दावा एक ढोंग हैं, जिसके सहारे वे उनके शरीर का शोषण करते हैं, उनकी आत्मा को गंदा करते हैं और उनके मान-सम्मान से उनको वंचित रखते हैं। पश्चिमी समाज दावा करता हैं कि उसने औरतों को ऊपर उठाया। इसके विपरीत उन्होने उनको रखैल और सम़ाज की तितलियों का स्थान दिया हैं, जो केवल जिस्मफ़रोशियों और काम-इच्छुकों के हाथों का एक खिलौना हैं, जो कला और संस्कृति के रंग-बिरंगे पर्दे के पीछे छिपे हुए हैं।

8- अमेरिका में बलात्कार की दर सबसे अधिक है:-
अमेरिका को दुनिया का सबसे उन्नत देश समझा जाता हैं। 1990र्इ की FBI रिपोर्ट से पता चलता हैं कि अमेरिका में उस साल 1,02555 बलात्कारकी घटनाएॅ की गर्इं। रिपोर्ट में यह बात भी बतार्इ गर्इ हैं  कि इस तरह की कुल घटनाओं में से केवल 16 प्रतिशत ही प्रकाश में आ सकी हैं।इस प्रकार 1990 र्इ0 में बलात्कार की घटना का सही अंदाजा  लगाने के लिए उपरोक्त संख्या को 6.25 से गुना करके जो योग सामनें आता हैं वह 6,40,968 हैं। अगर इस पूरी संख्या को साल के 365 दिनों में बॉटा जाए तो प्रतिदिन के लिहाज से 1756 की संख्या सामने आती हैं।

एक दूसरी रिपोर्ट के अनुसार अमरिका में प्रतिदिन 1900 बलात्कार की घटनाए पेश आती हैं। National Crime Victimization survey Bureau of justice Statistics (U.S. of justice) के अनुसार केवल 1996 में 3,07000 घटनाए दर्ज हुर्इ। लेकिन सही घटनाओं की केवल 31 प्रतिशत घटना ही दर्ज हुर्इ। इस प्रकार 3,07,000 ¾ 9,90,322 बलात्कार की घटनाए सन् 1996 र्इ0 में दर्ज हुर्इ। प्रतिदिन के लिहाज से औसत 2713 बलात्कार की घटनाए 1996 र्इ0 में अमेरिका में हुर्इ ज़रा विचार करें कि अमेरिकी बलात्कारी बड़े ही निडर हैं। FBI की 1990 र्इ0 की रिपोर्ट आगे बताती हैं कि बलात्कार की घटनाओं में केवल 10 प्रतिशत बलात्कारी ही गिरफ़्तार किए जा सके हैं। जो कुल संख्या का 1.6 प्रतिशत हैं। बलात्कारियों में से 50 प्रतिशत लोगो को मुक़द्दमा से पहले रिहा कर दिया गया। इसका मतलब यह हुआ कि केवल 0.8 प्रतिशत बलात्कारियों के विरूद्ध ही मुक़द्दमा चलाया जा सका। दूसरे शब्दों में अगर एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार की घटनाओं में लिप्त हो तो केवल एक बार ही उसे सजा़ दी जाने की संभावना हैं। बहुत से लोग इसे एक अच्छा जुआ समझेंगे। रिपोर्ट से यह भी अंदाजा होता हैं कि सजा़ दिए जाने वालों में से केवल 50 प्रतिशत लोगों को एक साल से कम की सजा़ दी गर्इ हैं। हालाकि अमेरिकी का़नून के अनुसार सात साल की सजा़ होनी चाहिए। उन लोगो के संबंध में जो पहली बार बलात्कार के दोषी पाए गए हैं, जज़ नर्म पड़ जाते हैं। जरा़ विचार करें कि एक व्यक्ति 125 बार बलात्कार करता हैं लेकिन उसके विरूद्ध मुक़द्दमा किए जाने का अवसर केवल एक बार ही आता हैं और फिर 50 प्रतिशत लोगो को जज़ की नर्मी का लाभ मिल जाता है और एक साल से भी कम मुद्दत की सज़ा किसी ऐसे बलात्कारी को मिल पाती हैं जिस पर यह अपराध सिद्ध हो चुका हैं।

उस दृश्य की कल्पना कीजिए कि अगर अमेरिका में पर्दे का पालन किया जाता । जब कभी कोर्इ व्यक्ति एक स्त्री पर नज़र डालता और कोर्इ अशुद्ध विचार उसके मस्तिष्क में उभरता तो वह अपनी नज़र नीची कर लेता। प्रत्येक स्त्री पर्दा करती अर्थात पूरे शरीर को ढक लेती सिवाए कलार्इ और चेहरे के। इसके बाद यदि कोर्इ उसके साथ बलात्कार करता तो उसे मृत्यु-दंड दिया जाता । मैं आप से पूछता हूॅ कि ऐसी स्थिति में क्या अमेरिका में बलात्कार की दर बढ़ती या स्थिर रहती या कम होती?

9- इस्लामी क़ानून निश्चित रूप से बलात्कार की दर घटाएगा:-
स्वाभविक रूप से ज्यों ही इस्लामी क़ानून लागू किया गया तो इसका परिणाम निश्चित रूप् से सकारात्मक होगा। यदि इस्लामी का़नून संसार के किसी भी हिस्से में लागू किया जाए, चाहे अमेरिका हो या यूरोप, समाज में शान्ति आएगी। पर्दा औरतों का अपमान नही करता बल्कि उन्हे ऊपर उठाता हैं और उनकी पवित्रता और मान की रक्षा करता हैं।

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