What is Islam?

Monday, 12 October 2015

ऐ मेरे अल्लाह सब कुछ तू है, सब कुछ तैरा है!

तू मुझे नवाजता है, ये तेरा करम है मेरे खुदा..
वरना तेरी मेहरबानी के लायक मेरी इबादत कहाँ!
रोज़ गलती करता हूँ, तू छुपाता है अपनी बरकत से....
मै मजबूर अपनी आदत से, तू मशहूर अपनी रहमत से

मेरी इज्जत के लिए काफी है के मैं तेरा बंदा हूँ..
और मेरी फिक्र के लिए ये काफी है कि तू मेरा खुदा है....
तू वैसा ही है जैसा मैं चाहता हूँ..
बस.... मुझे वैसा बना दे जैसा तू चाहता है!

Posted by zahid Rana at 05:24
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