Sunday, 23 August 2015

वुजू अच्छी सेहत का नायाब नुस्खा!

"प्यारे नबी मुहम्मद सल्लल्लाहो अलैही वसल्लम ने 1400 वर्ष पहले रात को वुजू बनाकर सोने के लिए प्रोत्साहित किया। इस जमाने में देखें तो योगा एक्सपर्ट भी सोने से पहले हाथ-पैर, मुंह, आंखें आदि धोने की सलाह देते हैं ताकि बॉडी को आराम मिले और गहरी और सुकून की नींद आए।

प्रोफेसर जॉर्ज ऐल कहते हैं:-
जब कोई अपना मुंह धोता है तो उसकी दाढ़ी में मौजूद कीटाणु साफ हो जाते हैं और पानी से गीली होने पर दाढ़ी के बालों की जड़ें मजबूत होती हैं। यही नहीं दाढ़ी के बाल पानी से तर होने से गर्दन की कोशिकाओं, थाइराइड ग्लैंड्स और गले संबंधी बीमारियों से हमारा बचाव होता है।

कोहनियां धोने के फायदे:-
कोहनी में तीन ऐसी नसें हैं जो दिल, दिमाग और लीवर से सीधे तौर पर जुड़ी हुई हैं। देखा गया है कि कोहनियां अक्सर ढकी रहती हैं। कोहनियों को हवा नहीं लगने और उन्हें पानी से नहीं धोते रहने से कई तरह की मानसिक और मस्तिष्क संबंधी जटिलताएं पैदा हो जाती हैं। इस तरह हम देखते हैं कि वुजू में कोहनियों सहित हाथ धोने से ना केवल हमारे दिल, दिमाग और लीवर को मजबूती मिलती है बल्कि इनसे संबंधित होने वाली परेशानियों से निजात मिलती है।
एक अमरीकी वैज्ञानिक के अनुसार-
पानी तनाव दूर करने, राहत और  सुकून हासिल करने का बेहतरीन जरिया है।
(रिफोर्मेशन मेगजीन नं.296, 1994)

हाथ धोना:-
संक्रमण को रोकने का महत्वपूर्ण और बेहतरीन उपाय है हाथों को धोना
(यू एस सेन्टर ऑफ डिजीज कंट्रोल एण्ड प्रीवेन्सन)

गरारे करना:-
हमारे अध्ययन की सबसे महत्वपूर्ण खोज यह है कि रोज सादा पानी से गरारे करके सर्दी लगने के मामलों को तीस फीसदी तक रोका जा सकता है। स्वच्छ बने रहने की यह सरल और साधारण आदत आम आदमी की सेहत और अर्थव्यवस्था के लिए बेहद फायदेमंद है। (कॉजूनेरीसेटोमुरा, एम.डी.,पीएच.डी., जापान की क्योटो यूनिवर्सिटी में मेडिसन के प्रोफेसर)
                 गौरतलब है कि वुजू में कुल्ली के दौरान गरारे करना सुन्नत है। यह भी देखा गया है कि रोज नमाज अदा करने वाले वे नमाजी जो हर वुजू में गरारे करते हैं, उनमें सिर्फ कुल्ली ही करने वाले नमाजियों की तुलना में  वायरल, बैक्टिरिया पनपने और गले और सांस संक्रमण और फ्लू आदि के मामले पचास फीसदी कम होने के चांस होते हैं।
जब गरारे किए जाते हैं तब पानी गले की परत के संपर्क में आने से पानी गले की परत से बाहरी कणों और रोगाणुओं को साफ कर देता है।

कान:-
वुजू बनाते वक्त कानों को अंदर और बाहर दोनों तरफ से साफ किया जाता है। अंदर की तरफ से साफ करने के लिए गीली उंगली अंदर की तरफ फिराई जाती है। कान को अंदर से साफ करने का यह तरीका कितना कारगर और बेहतर है, इसका अंदाजा अमेरिकन हेयरिंग रिसर्च  फाउंडेशन की इस बात से हो जाता है-
कॉटन लगी स्टिक से कानों की अंदर से सफाई करने की आदत से कान का पर्दा फटने का खतरा रहता है। देखा गया है कि ज्यादातर लोग इसी तरीके से अपने कानों की सफाई करते हैं। हमारा मानना है कि कॉटन स्टिक, हेयर पिन आदि चीजों के इस्तेमाल के बजाय कान साफ करने का सबसे बेहतर तरीका है गीली उंगलियों को कान के अंदर फिरा लेना।

गर्दन और सिर:-
वुजू के दौरान गर्दन और सिर का मसा किया जाता है यानी दोनों हाथों को गीला करके सिर के ऊपर और गर्दन के दाएं-बाएं और पीछे की तरफ से फैरा जाता है। ऐसा करने से ना केवल गर्दन से धूल आदि दूर होती है बल्कि तनाव भी दूर होता है और इंसान राहत महसूस करता है। कई स्ट्रेस थेरेपिस्ट तनाव दूर करने के लिए इसी नुस्खे को बताते हैं। इसी प्रकार गीले हाथ सिर पर फेरने से ना केवल तनाव दूर होता है बल्कि गंजेपन में भी फायदा होता है।

पैर:-
आजकल हर वक्त जूते और मौजे पहने रहने से पैरों में इन्फैक्शन आदि होने का डर रहता है। वुजू में दिन में पांच बार अच्छी तरह पैर धोए जाते हैं। हाथों की उंगलियों से पैरों की उंगलियों का बीच का हिस्सा भी अच्छी तरह धोया जाता है। इससे ना केवल पैरों पर गांठें आदि नहीं होती बल्कि बॉडी का रक्त प्रवाह भी इससे बढ़ता है। इस तरह पैर धोने से शुगर के मरीजों को भी रोग में राहत मिलती है।

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