"अल्लाह" एक ऐसा शब्द है जो जुबां पर आते ही एक बहूत ही महान व्यक्तित्व की कल्पना जहन में आती है जो हर वस्तु का स्वामी और पालणपोषक हो। उसने हर वस्तु को अकेले ही उत्पन्न किया हो, पूरे संसार को चलाने वाला वही हो, धरती और आकाश की हर चीज़ उसके आज्ञा का पालन करती हो, अपनी सम्पूर्ण विशेषताओं और गुणों में पूर्ण हो, जिसे खाने पीने की आवश्यक्ता न हो, विवाह और वंश तथा संतान की ज़रूरत न हो! तो केवल वही ज़ात उपासना के योग्य होगी और केवल वही इबादत की हक्दार होगी।अल्लाह तआला ही केवल वह ज़ात है जो सब गुणों और विशेषताओं में पूर्ण है। अल्लाह तआला की कुछ महत्वपूर्ण विशेषता पवित्र क़ुरआन की इन आयतों में बयान की गई हैं:-
•अल्लाह अकेला है, सबसे बेनियाज है, न उसकी कोई औलाद है और न वह किसी की औलाद है, कोई उसके जैसा नहीं! (सुर:इखलास:१-४)
•वह (अल्लाह) हंमेशा जिन्दा रहेने वाला है. कायम है, सबका थामने वाला है. वह न ऊँघता है और ना ही उसे नींद आती है. आसमानों और जमीन में जो कुछ है सब अल्लाह ही का है. कोई उसकी इजाजत के बगैर उसके सामने सिफ़ारिश भी नहीं कर सकता. उसे हर चीज का इल्म (ज्ञान) है! (अलबकराह:२५५)
•उसी ने हमें पैदा किया है, वो ही हमारा खालिक (पैदा करने वाला) है! (सुर:जुखरुफ़:८७)
•उसी ने सातो आसमान और जमीनों को पैदा किया, वो ही सब पर ग़ालिब है और सबसे ज्यादा इल्म (ज्ञान) वाला है! (सुर:लुकमान:२५)
•वही आसमान से पानी बरसाता है! (अलअनकबूत:६३)
•रात और दिन, सूरज और चाँद उसी की निशानियो में से है! (अलफुसिलत:३७)
•वही जमीन और आसमान से रोजी देने वाला है और वो ही हमारी आँखों और कानो का मालिक है! (सुर:युनुस:३१)
•जमीन और जो कुछ जमीन मे है सबका वही मालिक है. सातो आसमानों और अर्श का भी वही मालिक है. कोई उसके मुकाबले में पनाह (शरण) नहीं दे सकता! (मुअमिनून:८५-८९)
•उसी ने हमें एक जान आदम (अ.स.)से पैदा किया, उसी से उसका जोड़ा भी बना दिया फिर उन दोनो से बहुत से मर्द और औरतें बना कर दुनिया में फैला दिए! (सुर:निसा:१)
•उसी ने हमें एक मर्द और औरत से पैदा किया, फिर खानदान और कबीले वाला बना दिया ताकि हम एक दूसरे को पहचान सके. उसके नजदीक हममे ज्यादा इज्जतवाला वो है जो उससे ज्यादा डरने वाला है! (अलहुजुरात:१३)
सुर:नहल: ७२
सुर:रूम:२०
अलमुअमिनून:१२-१४
सुर:गाफिर:६७
अलकियामा:३७-३९
सुर:नूर:४५
सुर:फुरकान:५४
सुर:सजदा:८
सुर:यासीन:७७)
अलहिज्र:२६
अलहज्ज:५
सुर:सजदा:७
सुर:आले इमरान:६
सुर:गाफिर: ६४
अलहश्र:२४
सुर:तगाबुन:३
अलआराफ:१२
अलहिज्र:२७
सुर:सुआद:७६
सुर:रहमान:१५
सुर:रूम:२१
•वही जिसे चाहता है बेटियाँ देता है और जिसे चाहता है बेटे देता है. जिसको चाहे बेटे-बेटियां मिलाकर देता है और जिसे चाहता है बाँझ रखता है! (सुर:अशशुरा:४९-५०)
अलबकरह:२९,१८६)
•वही जिसे चाहे बादशाही दे और जिससे चाहे छीन ले. जिसको चाहे इज्जत दे और जिसे चाहे जलील करे. वह हर चीज पर कुदरत रखता है! (सुर:आले इमरान:२६)
अलआराफ:८९
सुर:अतताहा:९८
सुर:हूद:१२३
सुर:नूर:४५
सुर:लुकमान:३४
सुर:यासीन:३६
सुर:जारियात:४९
अलअनआम:३८
सुर:सबा:३६,३९
सुर:रूम:३७
•वह जिसे चाहता है ज्यादा रोजी देता है और जिसके लिए चाहता है रोजी तंग कर देता है! (अलबकरह:२४५)
•सच्ची तौबा करने पर वह सब गुनाहों को माफ़ कर देता है! (सुर:जुमर:५३)
•उसी ने आसमान व जमीन को हिक्मत से पैदा किया ताकि हर शख्स अपने आमाल का बदला पाए! (सुर:जासिया:२२)
•उसी ने मौत और जिन्दगी को पैदा किया ताकि हमारी आजमाइश करे कि कौन हम में अच्छे अमल करने वाला है! (सुर:हूद:७)
सुर:कहफ़:७
सुर:मुल्क:२
•वही जानदार से बे-जान और बे-जान से जानदार को पैदा करने वाला है! (सुर:आले-इमरान:२७)
अलअनआम:९५
सुर:युनुस:३१
सुर:रूम:१९
सुर:कहफ:१६
•उसी ने हमारे कान, आँख और दिल बनाये! (सुर:नहल:७८)
अलमुअमिनून:७८
सुर:सजदा:९
अलमुल्क:२३
•उसी ने हमारी जुबानो और रंगों को जुदा जुदा बनाया! (सुर:रूम:२०)
सुर:लुकमान:१०
सुर:युनुस:५
सुर:नूह:१६
सुर:लुकमान:२९
सुर:आले इमरान:१९०
सुर:जासिया:५
अलमाईदा:१
अननहल:५
अलमुअमीनून:२१
सुर:रूम:२४)
•सबको फ़ना (खत्म) होना है सिवाए उस एक अकेले अल्लाह के, उसी कि जात बाकी रहने वाली है! (सुर:रहमान:२६-२७
अलकसस:८८
सुर:युनुस:२५
सुर:हूद:११८
•जो उसकी तरफ रुजूअ करता है वह उसे अपनी तरफ का रास्ता दिखाता है (सुर:रअद:२७)
अशशूरा:१३
सुर:रूम:६
सुर:जुमर:२०
सुर:मरियम:६४
अतताहा:५२
•वह हमेशा से है और हमेशा रहने वाला है! (अलबकरह:२५५)
सुर:आले इमरान:२
अलमुअमिनून:६८
अलफतह:११
अलकसस:५६
अशशूरा:८०
अलअनफ़ाल:२४
सुर:आले इमरान:२६
अलहदीद:४
सुर:नमल:८८
सुर:वाकिया:६
सुर:मुजम्मिल:१४
सुर:तहरीम:१०
अलअनआम:१०३
अलआराफ:१४३)
अलमाईदा:१०९,११६
अलअनआम:५९
अलआराफ:१८८
सुर:तौबा:७८
सुर:युनुस:२०
सुर:हूद:१२३
सुर:नमल:६५
सुर:सबा:३,४८
सुर:जिन्न:२६
सुर:ताहा:१५
सुर:लुकमान:३४
अलअहजाब:६३
सुर:फुसिलत:६७
सुर:जुखरुफ़:८५
अलमुल्क:२६
सुर:नाजिआत:४४
अलबकरह:२५५
•वह किसी शख्स को उसकी ताकत (बर्दाश्त) से ज्यादा तकलीफ नहीं देता! (अलबकरह:२३३,२८६)
अलअनआम:१५२
अलआराफ:४२
अलमुअमिनून:६२
•उसके सिवाए कोई मुश्किल कुशा (मुश्किल दूर करने वाला) नहीं! (अलबकरह:१०७)
सुर:आले-इमरान:१६०
अलअनआम:१७
अलआराफ:३७
सुर:युनुस:१०६,१०७
सुर:रअद:१४,३७
सुर:जिन्न:२०
सुर:नहल:८६
सुर:हज्ज:७३
•वह दिलो के भेद (राज) जानने वाला है! (सुर:आले इमरान:१५४,१६७)
सुर:निसा:६३
सुर:माइदा:७
अलअनफ़ाल:४३
सुर:हूद:५
सुर:लुकमान:२३
अशशूरा२४
अलहदीद:६
सुर:तगाबुन:४
अलमुल्क:१३
•कायनात कि हर चीज (आसमानों में हो या जमीन में या जमीन के निचे) सब उसी कि तस्बीह (पाकी) ब्यान करती है! (सुर:नहल:४९)
अलहज्ज:१८
सुर:नूर:४१
अलहश्र:१
अलअनआम:८०
अलआराफ:८९
सुर:ताहा:९८
सुर:गाफिर:७
सुर:फुसिलत:५४
सुर:तलाक:१२
•वह हर बात (चीज) से बाखबर है! (अलबकरह:२९,२३१)
सुर:निसा:१७६
अलमाइदा:९७
सुर:नूर:३५,६४
•वह हर शै (चीज) पर कादिर (कुदरत रखता ) है (अलबकरह:२०,१०६,१४८,२५९,२८४)
सुर:आले इमरान:२६,२९,१६५,१८९
अलमाइदा:१९,४०,१२०
अलअनआम:१७
अलअनफ़ाल:४१
अततौबा:३९
सुर:हूद:४
सुर:नहल:७७
सुर:नूर:४५
सुर:युनुस:३
सुर:हूद:७
•उसी ने जमीन को फर्श बनाया! (अलअम्बिया:५६)
सुर:नाजिआत:३०
अलबकरह:२२
सुर:गाफिर:६४
•उसने कायनात को तदबीर से पैदा किया! (सुर:रूम:८)
सुर:सुआद:२७
सुर:जुमर:५
सुर:दुखान:३९
सुर:जासिया:२२
अलअह्काफ:३
सुर:तगाबुन:३
•उसी ने हुक्म दिया कि इबादत सिर्फ उसी कि की जाए! अल:इसरा:२३)
सुर:जुमर:२
सुर:जारियात:५६
सुर:बय्यिन:५
•उस कि दी हुई नेअमते बेशुमार है अगर हम उन्हें गिनना चाहे तो गिन नहीं सकते! (सुर:इब्राहीम:३४)
सुर:नहल:१८
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